The Basic Principles Of Shiv chaisa
The Basic Principles Of Shiv chaisa
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
Regardless of a single’s social status or authority, By reciting this, they attain purity and victory. Even those who are childless and craving for dreams, Will surely receive blessings in the grace of Lord Shiva.
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन shiv chalisa in hindi सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया